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लेखनी कहानी -03-Jan-2024 "विधाता"

     "विधाता"

विधाता जीवन को नया अध्याय देता है। 
सफर में वह कई हमको ऐसे काम देता है।। 
कहीं डगमगा ना जाए कदम सफर में हमारे। 
इसलिए घड़ी-घड़ी हमारा इम्तिहान लेता है।। 

नज़र अपनी कड़ी वो हमारे ऊपर चुपचाप रखता है। 
समंदर से भी गहरे वो सारे राज अपने पास रखता है।। 
नजर नहीं आता मगर हम पे कड़ी नज़र बनाए रखता है।
हमारे सारे कर्मों का लेखा जोखा वो बड़े एतियात से रखता है।। 

नई-नई चुनौतियों को वो समक्ष हमारे लाकर रख देता है। 
हमारी योग्यताओं का बड़ी बेवाकी से हर पल इम्तिहान लेता है।। 
किस्मत में टेढ़ी मेढ़ी रेखाएं खींचकर व्यक्तित्व का परीक्षण करता है। 
नदी सा बहता है जीवन में मगर उस धारा का जल हमें कहाँ दिखता है।। 

हमेशा हमको कोई गलती करने से पहले एहसास दिलाता है। 
समक्ष ना होकर भी हमको वह सही राह दिखाता है।। 
मूंद लेते हैं हम आंखें कई बार जब वो विपदाओं से बचाता है। 
सारी सृष्टि का वो अकेले ही ध्यान रखना है।। 

वही तो एक विधाता है जो हमको थामें रखता है। 
वही अल्लाह वही ईश्वर वही मसीहा वही यीशु कहलाता है।। 
यह जात-पात का खेलने ना उस विधाता को आता है। 
समझ संतान सबको अपनी आशीष हजारों देता है।।

मधु गुप्ता "अपराजिता"
स्वरचित रचना✍️✍️

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7 Comments

Gunjan Kamal

08-Jan-2024 08:14 PM

👏👌

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Rupesh Kumar

07-Jan-2024 08:03 PM

Nice

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Madhumita

07-Jan-2024 06:31 PM

Nice one

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